जब हम बच्चे थे जब हम बच्चे थे
जब हम बच्चे थे ,टाफियों से खुश होते थे अब ट्राफियों से खुश होते हैं। जब हम बच्चे थे ,टाफियों से खुश होते थे अब ट्राफियों से खुश होते हैं।
हमनें थानी दुनिया को दिखाने की। लोग जुड़ते गए। हमनें थानी दुनिया को दिखाने की। लोग जुड़ते गए।
मन में दबाकर रखने में कौन सी होशियारी है। मन में दबाकर रखने में कौन सी होशियारी है।
तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं। तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं।
कभी रोने पर भी पाबंदियां थी तो कभी मुस्कुराने पर भी थे एतराज़ हमसे कभी फ़िज़ूल में कभी रोने पर भी पाबंदियां थी तो कभी मुस्कुराने पर भी थे एतराज़ हमसे कभी...